रिपोर्टर प्रभुलाल मुकाती
उटावदा शिव मंदिर ग्राम उटावदा जिला धार आयोजक समस्त ग्राम वासी उटावदा मे चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को शोभायात्रा के साथ हुआ समापन।अगर आपने कोई पुण्य नही किया होगा तो आपको धर्मराज एक वैतरणी नदी होती है जिसमें आग व अंगारे होते हैं। उसी पर चलाया जाता है।उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति का उपयोग नहीं करना चाहिए क्रोध रूपी जहर को अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए क्योंकि क्रोध करने वाला व्यक्ति कभी भी जीवन में सफल नहीं होता है।उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर मरण तक परमात्मा ही मृत्यु लोक में मनुष्य का सहारा है हम अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए किसी चमत्कार की कल्पना नहीं करें। व्यक्ति के जीवन में चमत्कार तभी होता है जिस दिन उसके विचार परिवर्तित होकर किसी श्रेष्ठ कार्य को करने का संकल्प मन में उभरता है ।
आज हम इस भागवत कथा से कोई श्रेष्ठ संकल्प लेकर ही जाएं श्रीमद् भागवत कथा में विभिन्न धार्मिक प्रसंग सुनाए गए साथ ही भजनों की प्रस्तुति से भक्तगण आत्म विभोर होकर झूम उठे। उक्त विचार प्रसिद्ध शिव मंदिर प्रांगण ग्राम उटावदा समस्त ग्राम वासी उटावदा मे चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन सुमधुर कथा वाचक पं. भागवताचार्य रवि शर्मा ने व्यक्त किये।सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए पं. भागवताचार्य ने कहा कि मित्रता करनी हो तो सुदामा कृष्ण जैसी करो सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताये मदद कर दे भगवान श्री कृष्ण के वात्सल्य असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा की गई विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार कटुता व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव अविस्मरणीय होते हैं इतिहास इसका साक्षी है श्रीमद् भागवत कथा का विश्व शांति एवं सर्व कल्याण की कामना से समापन हुआ। श्रीमद् भागवत कथा समापन पर महाआरती की गई जिसके स्वागत साउंड मास्टर सभी का स्वागत किया गया