रिर्पोटर अंकित राठौड़ बगड़ी
दिग्ठान मालवा की वैष्णो देवी के नाम से प्रसिद्ध दिग्ठान वाली माता मंदिर में एक विशाल महाकाली महालक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियां विराजित है मूर्तियां दिन में तीन रूप बदलती है अदि्तीय बाल्यावस्था दोपहर में युवावस्था तथा शाम को सौभ्य रूप में प्रतीत होता है माता के दर्शन दूर-दूर से आते हैं भक्त नवरात्र में माता भक्तों की भीड़ उमड़ीत है मंदिर के इतिहास बारे में बताया गया है कि दिग्ठान स्थित दागुल नदी पर धोबी कपड़े धोया करते थे एक दिन माता ने एक धोबी को स्वप्न मैं दर्शन देकर बताया कि मैं किनारे पर पड़ी शीला पर विराजित हूं धोबी यह बात गांव के जागीदार को बताई इस पर जागीदार ने लोगों के साथ शीला को निकाला तीन देवियां एक ही शिला पर विराजित थी माता को वहां से गांव में ले जाने लगे लेकिन एक स्थान पर आकर माता आगे नहीं बड़ी इसके बाद सभी ने तय किया की यही पर माता की स्थापना कर मंदिर बना दिया जाए तब से लेकर अभी तक माता वहीं पर विराजमान हैं