अंकित राठौड़ बगड़ी
बगड़ी रंगो के पर्व होली की तैयारियां जोरों पर हैं और ग्रामीण आंचल में अब भी गांव के पटेल साहब जितेंद्र पटेल पारंपरिक परंपराओं को जीवंत रूप से निभाया जा रहा है होलिका दहन किया जाएगा लेकिन उससे पहले बढकुले गोबर से बनी माला बनाई गई है महिलाएं और बालिकाएं संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को आगे बढ़ाते हुए होलिका दहन के लिए पारंपरिक बढ़कुले कर रही हैं संस्कृति और परंपरानुसार होलिका दहन से कुछ दिन पहले बालिकाएं और महिलाएं घरों में गोबर से बढ़कुले बनाना शुरू कर देती है बालिकाएं अपने-अपने घरों में यह कार्य कर रही है इन बढ़कुलों से माला बनाई जाती है इस परंपरा का उद्देश्य संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है होलिका दहन के दिए पिछले कई वर्षों से छोटे-छोटे बच्चे बढ़कुले बनाने की परंपरा को निभा रहे ग्रामीणों के अनुसार गोबर के बढ़कुले जलने से वातावरण शुद्ध होता है और हानिकारक कीटाणु नष्ट हो होते हैं आधुनिकता के चलते लकड़ियों का उपयोग बढ़ते से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण और संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे ग्रामीण का कहना है कि गोबर से बने कांदे जलाने से प्रदूषणस कम होता है और पारंपरिक परंपराओं को