रिंगनोद से पवन राठौर की रिपोर्ट
24 मार्च सोमवार को रिंगनोद में दशा माता व्रत महिलाओं द्वारा भक्ति भाव के साथ मनाया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशा माता व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष कि दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशा माता को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा किया जाता है जो कि अपने परिवार की सुख समृद्धि और अनिष्ट ग्रहों की दशा को दूर करने के लिए इसे विधि पूर्वक करती है। इस दिन महिलाएं पीपल वृक्ष की पूजा कर कच्चे सूत से धागे में गांठ लगाकर अर्पित करती है।
रिंगनोद के नागेश्वरी माता मंदिर में स्थित प्राचीन पीपल वृक्ष के नीचे महिलाओं ने शुभ मुहूर्त में पूजन किया। यहां पर श्रीमती स्वाति शर्मा,शोभा – वासुदेव जी शर्मा व सरोज शर्मा (शर्मा परिवार) द्वारा नल दमयंती की कथा महिलाओं को सुना कर विधि विधान से पूजा अर्चना करवाई गई।
दशा माता की पूजा पीपल के पेड़ के आसपास धागा बांधकर की जाती है कथा सुनने एवं पूजन के पश्चात महिलाएं अपने-अपने घरों पर हल्दी और कुमकुम के छापे लगती है। व्रत करने वाली महिलाएं एक ही समय भोजन करती है एवं भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करती है।
दशा माता नारी शक्ति का प्रतीक है , उनकी सवारी ऊंट है, माता अपने दाएं और बाएं हाथों में कृमश: तलवार और त्रिशूल रखती हैं ।