” आचार्य श्री जयंतसेन सुरिश्वर जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री नित्यसेन सुरिश्वर जी के आज्ञानुवर्ती मुनिराज के प्रथम रिंगनोद आगमन पर हुआ धर्म सभा का आयोजन “

रिंगनोद से पवन राठौर कि रिपोर्ट

वर्तमान संसार में कर्म की सत्ता को समझना आसान नहीं है लेकिन कठिन भी नहीं है मनुष्य के जीवन में राग ही कर्म बंधन का सबसे सरल मार्ग होता है दूसरों की सफलता दूसरों के व्यवहार और अपने अहंकार के प्रति ममत्व भाव के कारण ही हम अपने कर्म से ग्रसित होते हैं यही मनुष्य के अंदर अहंकार का सबसे सूक्ष्म कारण होता है जिस प्रकार श्रवण भगवान प्रभु महावीर ने क्षमा के महत्व को बताया है जिसके कारण चण्डकोशी जैसे भयानक जहरीला नाग भी अपने कर्म त्याग कर मोक्ष का गामी बन गया था लेकिन आज के समय में ज्ञानी भगवंत एवं देव गुरु के कृपा से अभिमान एवं अहंकार को छोड़ने के लिए व्यक्ति को बहुत ही सरल बनना होगा तभी हम इस कर्म सत्ता से जीतकर मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त कर सकते हैं उक्त प्रेरणादायी उद्बोधन पूण्य सम्राट आचार्य श्री जयंतसेन सुरिश्वर जी महाराज साहब के सुशिष्य वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री नित्यसेन सुरिश्वरजी महाराज साहब एवं आचार्य श्री जयरत्न सुरिश्वर जी महाराज साहब की आज्ञनुवृत्ति मुनिराज श्री जिनागम रत्न विजय जी महाराज साहब ने डांगी धर्मशाला में आयोजित धर्म सभा में कहे । इससे पूर्व आज प्रातः जैन तीर्थ भोपावर से बिहार कर मुनिराज श्री जिनागम रत्न विजय जी आदि ठाणा 19 का रिंगनोद नगर में प्रवेश हुआ श्री चंद्रप्रभु जैन मंदिर दर्शन के पश्चात जैन धर्मशाला पहुंचे। इस अवसर पर चिराग भंसाली ने जानकारी देते बताया कि मालवा क्षेत्र में प्रथम बार 19 19 साधु भगवंत का बिहार हो रहा है आप यहां से बिहार कर पारा नगर के लिए प्रस्थान करेंगे वहां पर आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम में अपनी निश्रा प्रदान करेंगे धर्मसभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओ को पारसमल जी पवार परिवार द्वारा प्रभावना बांटी गई ।

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